नगर निगम चुनाव की तिथि अभी तक घोषित नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हुआ है, जिसको लेकर बुधवार को शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी ने प्रेस वार्ता लेकर नगर निगम महापौर सुभाष शर्मा के बारे में बताया कि उन्होंने नगर निगम की राशि से निजी लाभ अर्जित किया है। राजानी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि महापौर ने नियम विरुद्ध तरीके से सहकारी सोसायटी में 40 लाख रुपए जमा कराए थे, जो उचित नहीं है। पत्रकार वार्ता के बाद इस संबंध में कांग्रेसजनों ने एक ज्ञापन भी कलेक्टर को सौंपा। इस ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि नगर निगम द्वारा नगर निगम में पदस्थ पदाधिकारियों द्वारा परिवार के सदस्य को राजनीतिक लाभ दिलाने के लिए नगर निगम के द्वारा 15 फरवरी 2013 को 40 लाख रुपये एसबीआई खाते से को ऑपरेटिव बैंक भवानी सागर शाखा देवास में खाता क्रमांक 09 में जमा करने हेतु नोटशीट लिखी गई, क्योंकि कोआपरेटिव बैंक में खाता खोलना ही अवैधानिक है। नगर निगम लेखा नियम 160 में बैंक खाते के संबंध में लिखा है कि निगम केवल अनुसूचित बैंक में खाता खोल सकता है, अन्य कॉपरेटिव बैंक की शाखा में नहीं। यही नहीं कॉपरेटिव बैंक में रुपए जमा होने के बाद निगम द्वारा 19 मार्च 2013 को एक पत्र लिखा जाता है कि हमारे द्वारा जमा 40 लाख रुपए संस्था वृत्ताकार सहकारी साख संस्था मर्यादित देवास में ट्रांसफर कर दिए जाएं। इतनी बड़ी बैंक राशि का ट्रांसफर बिना चेक के हो नहीं सकता केवल एक लेटर पर उक्त राशि का ट्रांसफर वृत्ताकार सहकारी संस्था देवास को कर दिया जाता है, जो कि अपने आप में संदिग्ध है। ज्ञापन में बताया गया है कि उक्त सोसाइटी ओव्हर डीयूव थी और अगर इसमें पैसा जमा नहीं होता तो संस्था के पदाधिकारी बैंक में वोट नहीं डाल सकते, इसलिए संस्था का ओवरड्यू खत्म करने के लिए उक्त राशि कोआपरेटिव मनमोह लिया। दादा भीमसिंह निर्मल ने अपनी चिर परिचित बैंक में वोटिंग पावर श्रीमती कृष्णा पति प्रेम कुमार सुभाष शर्मा को मिले, इसलिए ट्रांसफर कर दी गई। पश्चात उक्त राशि 4 वर्षों में विभिन्न तारीखों में 10 लाख 10 लाख रुपए के माध्यम से चार बार वापस नगर निगम में चला गया। जबकि रुपये जमा की इंट्री नगर निगम के खातों में नहीं है। उक्त राशि के अगर ब्याज की गणना की जाए तो लगभग 8 से 13 लाख रुपए का नुकसान नगर निगम को हुआ है। जिस संस्था को लाभ पहुंचाया गया उससे दिनांक 16 जनवरी 2013 को चुनाव हुए जिसमें श्रीमती कृष्णा पति प्रेम कुमार सुभाष शर्मा को डायरेक्टर चुना गया, क्योंकि संस्था पिछले कई वर्षों से ओवरड्यू थी जिससे डायरेक्टर वोटिंग का उपयोग जिला कोऑपरेटिव बैंक में नहीं कर पाती इसलिए केवल संस्था को ओवरड्यू से निकालकर नियमित करने हेतु यह साजिश रची गई। श्रीमती कृष्णा शर्मा वर्तमान महापौर एवं तत्कालीन सभापति श्री प्रेम कुमार (सुभाष) शर्मा की धर्मपत्नी है। भाजपा की सरकार होने के कारण पद का दुरुपयोग करते हुए अधिकारियों पर दबाव डालकर अवैधानिक कृत्य कराया गया, जिससे निगम को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाते हुए संस्था को ब्याज का लाभ पहुंचाया गया। उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने को लेकर कलेक्टर डॉ श्रीकांत पांडे को शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी पर्सन कोआर्डिनेटर ला. - लॉयन्स ने पत्र सौंपते हुए कहा कि इसकी जांच कर दोषियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाए। इस पर श्री पांडे ने कहा कि प्रकरण की शीघ्र ही जांच की जाएगी एवं दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। इस अवसर पर कांग्रेसी नेता शौकत हुसैन, भगवान सिंह चावड़ा, एम असलम शेख, सुधीर शर्मा, अजीत भल्ला, रमेश व्यास, कैलाश पटेल, राजेश डांगी, विश्वजीत सिंह चौहान, संतोष मोदी, जाकिर उल्ला शेख, सलीम पठान, हफीज घोसी, राहुल पवार सहित कांग्रेजन उपस्थित थे।
आराप बबुनियाद : महापौर मामला पुराना है। मैं उस समय सभापति था और महापौर रेखा वर्मा थी। खाता वर्ष 2009 से पुराना है। मुझ पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे बेबुनियाद हैं। फिजूल की राजनीति की जा रही है। मेरी पत्नी किसान होने के नाते मेंढकी सोसायटी में सदस्य हैं, इसीलिए मामले को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। इसमें किसी तरह का कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है। सुभाष शर्मा, महापौर