जन्म से ही माँ का आँचल छूट गया पर पुनर्वास केंद्र की सेवा से आज पूर्णतः स्वस्थ है कुपोषण खत्म करने में पुनर्वास केंद्र निभा रहे सफ़ल भूमिका*

 


जन्म से ही माँ का आँचल छूट गया पर पुनर्वास केंद्र की सेवा से आज पूर्णतः स्वस्थ है


*खातेगांव।* पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषण को खत्म करने में सार्थक भूमिका निभा रहे है। सही समय पर सही पोषण, सही समय पर टीका, बच्चों में बढ़ रहे कुपोषण की जंग को हरा सकता है।ऐसा ही एक केंद्र खातेगांव का पुनर्वास केंद्र है। जहां कुपोषित बच्चों की देखरेख बहुत अच्छे व ध्यानपूर्वक तरीके से की जा रही है। 
अनेक उदाहरणों में से एक है ग्राम चिचली का शुभम। जन्म के समय ही माँ का आँचल छूट गया। घर में ऐसा कोई नहीं था जो शुभम को स्तनपान करा सके और घर की आर्थिक हालत भी ठीक नहीं थीं जो शुभम को उचित पोषण दे सके। ऐसे में पुनर्वास केंद्र ने अपनी सफ़ल भूमिका निभाई । शुभम को केंद्र लाया गया और सही पोषण व उचित देखरेख से उसकी स्थिति सुधरने लगी। बहुत कम दिनों में ही उसका वज़न 1 किलो 700 से बढ़कर 2 किलो 500 ग्राम हो गया।


ऐसा एक और उदाहरण है खुड़गांव निवासी रामनारायण और शिप्रा की बेटी श्रद्धा। श्रद्धा की माँ को स्तनपान कराने में समस्या थीं ऐसे में NRC में भर्ती कर एसएसटी प्रक्रिया द्वारा तनु F-100 दिया गया ताकि शिशु स्तनपान कर सके ,साथ ही समय समय पर एफडी श्रीमती पल्लवी शुक्ला द्वारा स्तनपान कैसे करवाए इसकी सलाह दी गई। NRC में भर्ती के समय श्रद्धा का वजन 1 किलो 39 ग्राम था और केंद्र में रहने के बाद उसका वजन 2 किलो 400 ग्राम हो गया।



*"माँ का पहला गाड़ा दूध क्यों है जरूरी?"*
* माँ का दूध बच्चे के लिए केवल पोषण ही नहीं बल्कि जीवन की अमृत धारा है।
* विश्वभर में सबसे अधिक बच्चों की मृत्यु निमोनिया से होती है किन्तु जन्म से 6 महीने तक सिर्फ माँ का दूध शिशु को इससे बचा सकता है।
* यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ) कहता है माँ का दूध शिशु के लिए संरक्षण व संवर्धन के काम करता है।
* माँ का पहला गाड़ा दूध ( कोलोस्ट्रम ) कुपोषण से बचाता है व शिशु में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।


केंद पर ऐसे अनेक उदाहरण आते है जिसमे माँ को स्तनपान में समस्या होती है । हम एसएसटी प्रक्रिया कर माँ का स्तनपान शुरू कराते है क्योंकि शिशु को कुपोषण से मुक्त करने के लिए माँ का दूध बहुत महत्वपूर्ण है। शोधार्थी दीप्ति रायसिंह तोमर से बातचीत करते हुए वे आगे कहती है कि समय समय पर उचित सलाह व माँ का सही मार्गदर्शन शिशु के स्वास्थ्य सुधारने में सार्थक भूमिका निभाता है।